27 July 2025

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धनखड़ के इस्तीफे से गरमाई सियासत, विपक्ष और सत्ता में तीखी नोकझोंक

व्यक्तिगत कारणों का हवाला देकर धनखड़ ने दिया इस्तीफा, अटकलों का बाजार गर्म

सत्तापक्ष की सफाई – इस्तीफा पूरी तरह व्यक्तिगत, राजनीति से जोड़ना अनुचित

संसद से सोशल मीडिया तक गरमाई बहस, जनता ने भी उठाए सवाल

विपक्ष का आरोप – भाजपा में असहमति और संवादहीनता गहराई

       नई दिल्ली। वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री धनखड़ के अचानक इस्तीफे ने देश की सियासत में एक बड़ा भूचाल ला दिया है। इस्तीफे की घोषणा के बाद जहां विपक्षी दलों ने इसे सरकार के भीतर गहराते असंतोष का संकेत बताया है, वहीं सत्तापक्ष ने इसे “निजी कारणों से लिया गया निर्णय” करार देकर विवाद को शांत करने की कोशिश की है। इस घटनाक्रम ने संसद से लेकर सड़क तक राजनीति को गरमा दिया है।

इस्तीफे की घोषणा और राजनीतिक हलचल

       धनखड़ ने बीते दिन प्रेस को संबोधित करते हुए अपने पद से त्यागपत्र देने की घोषणा की। उन्होंने अपने संक्षिप्त वक्तव्य में कहा,

“यह निर्णय मैंने लंबे आत्ममंथन के बाद व्यक्तिगत कारणों से लिया है। मैं पार्टी का सच्चा सिपाही रहा हूं और आगे भी रहूंगा।”

       हालांकि उन्होंने खुलकर कोई राजनीतिक आरोप नहीं लगाया, लेकिन उनके इस्तीफे के पीछे कारणों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।

विपक्ष का हमला: “भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं”

       कांग्रेस, आप, आरजेडी, टीएमसी और अन्य विपक्षी दलों ने इसे भाजपा के अंदरूनी संकट का प्रमाण बताया है। कांग्रेस प्रवक्ता जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा,

“धनखड़ जैसे वरिष्ठ नेता का इस्तीफा यह दिखाता है कि भाजपा में असहमति की कोई जगह नहीं है। यह लोकतंत्र और संस्थानों के लिए खतरनाक संकेत है।”

आप नेता संजय सिंह ने बयान जारी कर कहा कि

“जो नेता सवाल पूछता है, वह बाहर कर दिया जाता है। यह नया इंडिया नहीं, नया तानाशाही युग है।”

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी कहा कि

“धनखड़ का जाना यह साबित करता है कि भाजपा में केवल चाटुकारिता चलती है, न कि निष्ठा और अनुभव।”

सत्तापक्ष की सफाई: “इस्तीफा व्यक्तिगत निर्णय”

       भाजपा ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह निर्णय पूरी तरह व्यक्तिगत और पारिवारिक कारणों पर आधारित है। पार्टी प्रवक्ता डॉ. संबित पात्रा ने प्रेस से कहा,

“धनखड़ जी पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। उनके निर्णय का हम सम्मान करते हैं। यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है, कृपया उसे सनसनी न बनाएं।”

गृह मंत्री अमित शाह ने भी ट्वीट कर धनखड़ के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि

“उनका अनुभव, समर्पण और अनुशासन अनुकरणीय रहा है। हम उनके भविष्य के लिए शुभकामनाएं देते हैं।”

संसद में हंगामा, कार्यवाही स्थगित

       धनखड़ के इस्तीफे को लेकर संसद के दोनों सदनों में भी भारी हंगामा देखने को मिला। विपक्ष ने इस मुद्दे पर चर्चा की मांग की, जिसे सभापति द्वारा अस्वीकार कर दिए जाने पर नारेबाजी और वॉकआउट हुआ। नतीजतन, राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।

राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि

“जब एक वरिष्ठ नेता पार्टी से इस्तीफा देता है, तो यह केवल व्यक्तिगत मसला नहीं होता। यह नीति और दिशा का संकेत होता है।”

जनता में भी उठे सवाल

       सोशल मीडिया पर आम जनता ने भी इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। #धनखड़_इस्तीफा ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है। लोग पूछ रहे हैं कि अगर सबकुछ ठीक है तो इतने वरिष्ठ नेता को अचानक पद क्यों छोड़ना पड़ा?

कुछ लोगों ने समर्थन में भी लिखा है कि

“कम से कम उन्होंने अपने आत्मसम्मान से समझौता नहीं किया।”

आगे क्या?

       राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि धनखड़ का इस्तीफा न केवल भाजपा के लिए एक झटका है, बल्कि यह 2024 के चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है। अगर उनके कदम के पीछे कोई संगठनात्मक असहमति है, तो अन्य असंतुष्ट नेताओं को भी मुखर होने का अवसर मिल सकता है।

राजनीतिक रणनीतिकार योगेंद्र यादव के अनुसार,

“इस इस्तीफे के निहितार्थ केवल वर्तमान घटनाओं तक सीमित नहीं हैं। यह पार्टी के भीतर लंबे समय से खदबदा रही असहमति का विस्फोट हो सकता है।”