4 August 2025

SRIJNATMAK

Srijnatmak News: – Informed Insight, Global Impact: Your Gateway to Timely News.

शहीद वीर नारायण सिंह संग्रहालय में दिखेगा ब्रिटिशकालीन जनजातीय विद्रोह का वास्तविक झांकी





रायपुर : छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में निर्माणाधीन शहीद वीरनारायण सिंह संग्रहालय परिसर में छत्तीसगढ़ राज्य में ब्रिटिशकाल में हुए जनजातीय विद्रोह की झांकी को वास्तविक स्वरूप में तैयार किया जा रहा है। ब्रिटिशकाल के दौर में अपनी अस्मिता और संस्कृति को बचाने के लिए हुए जनजातीय विद्रोह के दौरान कई छत्तीसगढ़ के अनेक वीर सपूतों ने अपने प्राण न्यौछावर किए। झांकी के माध्यम से जनजातीय विद्रोह कोे वास्तविक स्वरूप में प्रदर्शित करने मेें बस्तर, कोलकाता और मुम्बई फिल्म सिटी के आर्टिस्ट जुटे हैं।

आदिम जाति कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव श्री बोरा ने आज शहीद वीरनारायण सिंह संग्रहालय का दौरा कर वहां चल रहे निर्माण कार्यों का जायजा लिया। श्री बोरा ने जनजातीय विद्रोह की झांकी तैयार करने में जुटे आर्टिस्टों से मुलाकात कर उनकी हौसला अफजाई की। श्री बोरा ने कहा कि जनजातीय विद्रोह के वास्तविक स्वरूप को दर्शाने के लिए तैयार की जा रही यह झांकी जनजातीय समुदाय के गौरवशाली इतिहास का स्मरण कराएगी।

गौरतलब है कि नया रायपुर में पुरखौती मुक्तांगन के समीप 45 करोड़ की लागत से लगभग 10 एकड़ भूमि पर शहीद वीरनारायण सिंह म्यूजियम स्थापित किया जा रहा है। इस संग्रहालय में छत्तीसगढ़ के जनजातीय जीवन शैली एक अलग म्यूजियम तैयार किया जा रहा है, जो जनजातीय कला-संस्कृति और रीति-रिवाजों से रूबरू कराएगा। आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के प्रमुख सचिव श्री सोनमणि बोरा ने म्यूजियम के निर्माण कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। इस अवसर पर आदिवासी अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान के संचालक श्री पी.एस. एल्मा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी एवं संबंधित ऐंजेंसी के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

म्यूजियम निर्माण में लगे क्यूरेटर श्री प्रोबल घोष ने बताया कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के वीर गाथाओं पर आधारित इस झांकी का निर्माण काफी चुनौती पूर्ण कार्य है। इस म्यूजियम में आदिवासियों की ग्रामीण जन-जीवन, उनकी स्वतंत्रता फिर उनकी वीर गाथा की वास्तविक कहानी क्लासिकल लुक में दिखेगी। इस म्यूजियम को कोलकाता के 14 विशेष मूर्तिकार, बस्तर के 23 आर्टिस्ट तथा फिल्म सिटी मुम्बई के कहानी के कम्पोजिसन के साथ मूर्तरूप देने मे लगे है। मूर्तियों की फिनिशिंग का कार्य भी समानांतर रूप से किया जा रहा है। म्यूजियम तैयार होने के बाद यह संग्रहालय न केवल छत्तीसगढ़ के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के स्वतंत्रता काल में दिए गए सर्वाेच्च बलिदान को याद दिलाएगा, बल्कि छत्तीसगढ़ की गौरवशाली आदिवासी परंपरा से भी आमजन को रूबरू कराएगा।






original_title