7 August 2025

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छत्तीसगढ़ में बिजली बिल पर सियासत गरम, सरकार की नई नीति पर विपक्ष का विरोध—सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने की तैयारी

400 से घटाकर 100 यूनिट तक रियायत, कांग्रेस का विरोध तेज
सरकार के फैसले को जनविरोधी बताकर कांग्रेस ने सीएसईबी कार्यालय का घेराव किया

सरकार की सफाई: 31 लाख उपभोक्ताओं को अब भी मिल रहा लाभ
बीपीएल परिवारों को 30 यूनिट तक मुफ्त बिजली, 100 यूनिट तक आधा बिल जारी

ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर कदम: सोलर प्लांट पर ₹1.08 लाख तक की सब्सिडी
प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के तहत रूफटॉप सोलर सिस्टम को मिल रहा बढ़ावा

लक्षित सब्सिडी बनाम आम जनता की चिंता
सरकार की योजना व्यावहारिक या जनहित के खिलाफ? राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय

       रायपुर। छत्तीसगढ़ में बिजली बिल को लेकर राजनीतिक गर्मी तेज हो गई है। राज्य सरकार द्वारा हॉफ बिजली बिल योजना में बदलाव कर 400 यूनिट से घटाकर 100 यूनिट तक ही रियायत देने के फैसले पर जहां कांग्रेस ने तीखा विरोध दर्ज कराया है, वहीं सरकार ने इस बदलाव को आर्थिक रूप से व्यावहारिक और लक्षित उपभोक्ताओं को केंद्र में रखने वाला कदम बताया है।

       कांग्रेस का आरोप है कि पूर्ववर्ती सरकार की योजना में जनता को 400 यूनिट तक आधे बिल की राहत मिलती थी, लेकिन भाजपा सरकार ने इसे घटाकर सिर्फ 100 यूनिट कर दिया, जिससे आम आदमी पर आर्थिक बोझ बढ़ा है। इसी के विरोध में रायपुर में शहर कांग्रेस कमेटी व युवा कांग्रेस के नेतृत्व में डगनिया स्थित सी.एस.ई.बी कार्यालय का घेराव किया गया। प्रदर्शनकारियों ने इसे जनविरोधी निर्णय बताते हुए वापस लेने की मांग की।

       दूसरी ओर, राज्य सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि संशोधित योजना से राज्य के 45 लाख घरेलू उपभोक्ताओं में से 31 लाख उपभोक्ता, जिनकी मासिक खपत 100 यूनिट से कम है, पहले की तरह हॉफ बिजली बिल योजना का लाभ उठाते रहेंगे। इनमें 15 लाख बीपीएल परिवारों को 30 यूनिट तक मुफ्त बिजली मिलती रहेगी।

       सरकार का कहना है कि यह निर्णय लक्षित सब्सिडी की नीति, राजकोषीय संतुलन और ऊर्जा आत्मनिर्भरता को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। इसके साथ ही सरकार ने प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना को भी तेज़ी से लागू करना शुरू कर दिया है। इस योजना के तहत उपभोक्ताओं को रूफटॉप सोलर प्लांट लगाने पर ₹1.08 लाख तक की सब्सिडी दी जा रही है। इससे उपभोक्ता न केवल खुद की बिजली जरूरतें पूरी कर सकते हैं, बल्कि अतिरिक्त बिजली ग्रिड में भेजकर आय भी अर्जित कर सकते हैं

       सरकार का मानना है कि यह रणनीति उपभोक्ताओं को “उर्जादाता” बनने की ओर ले जाएगी, जिससे वे ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बन सकेंगे और पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देंगे।

       इस प्रकार एक ओर जहां बिजली बिल छूट की सीमा घटाने को लेकर जनता में असंतोष और राजनीतिक विरोध दिखाई दे रहा है, वहीं दूसरी ओर सरकार इसे लक्षित लाभ, ऊर्जा बचत और सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने वाला दूरगामी कदम बता रही है। अब देखना यह होगा कि जनता और राजनीतिक दल इस बदलाव को कैसे स्वीकार करते हैं।