31 July 2025

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घटिया खुर्द में सरकारी जमीन पर बढ़ी खरीदी-बिक्री, किसानों के रास्ते पर भी अवरोध

       नंदनी, अहिवारा| विशेष संवाददाता- नंदनी-अहिवारा से लगे ग्राम घटिया खुर्द में सरकारी जमीन की अवैध खरीदी-बिक्री का मामला सामने आया है। ग्रामीणों के अनुसार, जोगी डबरी से लगी लगभग 2.5 एकड़ भूमि को कुछ लोगों ने कब्जा कर कृषि कार्य प्रारंभ कर दिया है। हैरानी की बात यह है कि यह जमीन सरकारी रकबा में आती है, और उस पर से होकर किसानों के खेतों तक पहुंचने का मुख्य मार्ग भी गुजरता था, जिसे अवैध कब्जाधारियों द्वारा बंद कर दिया गया है

       प्राप्त जानकारी के अनुसार, कुछ व्यक्तियों ने इस जमीन पर तारबंदी कर कब्जा जमा लिया है, और उसका कुछ हिस्सा कथित रूप से खरीदा एवं बेचा भी गया है। ऐसे में शासन को लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है।

       इस विवादित भूमि के संबंध में किसान श्री दीनदयाल पात्रे, जिनके स्वर्गीय पिता श्री गरीबदास पात्रे की भूमि इसी क्षेत्र में है, ने तहसील कार्यालय में सीमांकन हेतु आवेदन प्रस्तुत किया है। उनका कहना है कि जब तक वास्तविक सीमाएं स्पष्ट नहीं होंगी, तब तक सीमा विवाद की आशंका बनी रहेगी। उन्होंने यह भी बताया कि वह सीमांकन शुल्क अदा करने को पूर्णतः तैयार हैं, फिर भी तहसील कार्यालय की ओर से कोई स्पष्ट कार्रवाई या आदेश जारी नहीं किया गया है

       तहसीलदार द्वारा सीमांकन का केवल मौखिक आश्वासन दिया जा रहा है, जिससे किसानों में आक्रोश व्याप्त है। ग्रामीणों की मानें तो कुछ प्रभावशाली व्यक्तियों द्वारा सरकारी जमीन को लाखों रुपये में बेचा जा रहा है, और अब तक प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है

       एक अन्य शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि एक व्यक्ति, जिसे “वर्मा” के नाम से जाना जाता है, आने-जाने के पुराने रास्ते को बाधित कर रहा है, जिससे खेतों तक पहुंचना मुश्किल हो गया है।

       धनेश पात्रे की जमीन खसरा नंबर 161, रकबा 0.41 हेक्टेयर क्षेत्र में स्थित है, जो इस विवाद से प्रभावित हो रही है। किसानों की मांग है कि प्रशासन शीघ्र सीमांकन कराकर वास्तविक स्थिति स्पष्ट करे, ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार का विवाद या कानूनी बाधा उत्पन्न न हो।

प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल

       किसानों ने यह भी सवाल उठाया है कि सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा और खुलेआम लेनदेन के बावजूद प्रशासन मौन क्यों है? यदि इस पर समय रहते कार्रवाई नहीं की गई तो न केवल किसानों के हित प्रभावित होंगे, बल्कि शासन को भी भारी आर्थिक क्षति उठानी पड़ सकती है।

       ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से तत्काल सीमांकन, रास्ते की बहाली और अवैध बिक्री की जांच की मांग की है, ताकि कानून व्यवस्था कायम रहे और भूमि घोटालों पर रोक लगाई जा सके