
लोकतंत्र को जीवित रखना एवं डेमोक्रेट
मुख्यमंत्री संविधान हत्या दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए: मृतकों की 50वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम का उद्घाटन
रायपुर/मुख्यमंत्री विष्णु देव साय आज राजधानी रायपुर के पंडित आद्यायाध्याय कैथेड्रल में मृतकों की 50वीं जयंती के अवसर पर आयोजित संविधान हत्या दिवस कार्यक्रम में शामिल हुए।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि यह अत्यंत आवश्यक है कि लोकतंत्र की हत्या के उस काले दिन को हमारी भावी पीढ़ी भी जाने, समझे और सीख ले। विनाश के दौर को याद करते हुए भावुक हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वह कालखंड मेरे जीवन से गहराई तक डूबे हुए हैं। यह मेरे लिए कोई घटना नहीं है, बल्कि एक व्यक्तिगत पीड़ा है। मुख्य मंत्री ने बताया कि उनके विशाल स्वर्गीय नरहरि प्रसाद का कहना है कि 19 महीने तक जेल में रहने के दौरान उनका निधन हो गया। उस समय लोकतंत्र के घरों की स्थिति बिल्कुल आखिरी थी—किसी बार घर में चूल्हा तक नहीं जलता था। ऐसे कई रिश्तेदारों को मैंने खुद को देखा है। उन्होंने कहा कि निरंकुश सत्ता ने उस समय की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल दिया था, नागरिक अधिकार छीन लिए गए थे। दरअसल, वह लोकतंत्र का काला दिन था, जिसका दंश हमारे परिवार ने झेला है और जिसे मैंने खुद जिया है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कार्यक्रम के दौरान लोकतंत्र सेनानियों के सदस्यों के सदस्यों को नामित किया और शॉल, श्रीफल एवं प्रतीक चिन्ह चिन्हांकित किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार लोकतंत्र सेनानी परिवार को सम्मान देने का काम कर रही है। इन परिवारों को 10 हजार से 25 हजार रुपये तक का सम्मान दिया जा रहा है-यह उनके संघर्ष और बलिदान को नमन करने का एक प्रयास है।
कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं और युवाओं को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान की रक्षा हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे शेष इतिहास की जांच करें, और पढ़ें कि किस प्रकार से उस कालखंड में संविधान को कुचला गया था। लोकतंत्र को जीवित और सशक्त बनाने के लिए जन-जागरूकता और सक्रिय भागीदारी अनिवार्य है।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने अपनी किताब में कहा है कि भारत के संविधान और लोकतंत्र पर अंतिम एक ऐसा कलंक है, जिसे इतिहास में काले कागज में दर्ज किया गया है। अंततः संविधान को नष्ट कर दिया गया, मूल अधिकार को समाप्त कर दिया गया और लोकतंत्र की आत्मा को खत्म कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि उस समय देश में एक खुली जेल बदल दी गई थी, जिसमें भय और आतंक का माहौल था। एक लाख से अधिक लोगों को बिना ऐतिहासिक प्रक्रिया की जेलों में बंद कर दिया गया, और उन्हें यातनाएं दे दी गईं। यह केवल राजनीतिक दमन का दौर नहीं था, बल्कि भारत की लोकतांत्रिक स्वायत्तता को समाप्त करने का सुवैज्ञानिक प्रयास था।
डॉ. सिंह ने युवाओं से कहा कि वे युवाओं के विषय में शोध करें, और पढ़ें कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए लोगों ने अपने प्राणों की आहुतियां दी। भविष्य में लोकतंत्र को सुरक्षित बनाये रखने के लिए हमें विश्वासपात्रों और सजगता का ध्यान रखना होगा।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं कुशाभाऊ पाठक पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के पूर्व राष्ट्रपति श्री बलदेव भाई शर्मा ने कहा कि 25 जून 1975 भारतीय लोकतंत्र का सबसे शर्मनाक और काला दिन था। इस दिन संवैधानिक और लोकतांत्रिक विचारधारा को जिस तरह से कुचला गया, उसका कोई दूसरा उदाहरण विश्व इतिहास में नहीं है। संविधान में मनमाने ढंग से संशोधन किया गया, जिससे देश की आत्मचेतना और नागरिक अधिकारों का दमन हुआ।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री साय ने मेघालय की 50वीं जयंती पर आयोजित जनजागरूकता रैली में भी भाग लिया।
*मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष ने शनिवार को विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन किया*
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवं विधानसभा अध्यक्ष डाॅ. रमन सिंह ने नोबेल की 50वीं वर्षगांठ पर आधारित विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया।
इस प्रदर्शनी में तानाशाही समुदायों के दौरान लोकतंत्र के उल्लंघन और लोकतंत्र के हनान को एकजुट करने और माध्यम से साझा करने की बात कही गई है।
मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि विलुप्त भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय है, जिसे विस्मृत को नहीं जाना चाहिए। ऐसी प्रदर्शनी नई पीढ़ी को लोकतंत्र और संविधान के महत्व को दस्तावेजों में सहायक सिद्ध करेगी।
विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने भी इस पहल में कहा था कि यह प्रदर्शनी लोकतंत्र की रक्षा के लिए जनता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
इस उद्योग में मंत्री लाखन लाल देवांगन, नेतागण पुरंदर मिश्रा, गुरु खुशवंत साहेब, मोतीलाल साहू, सी.आदिम डीसी के अध्यक्ष राजीव अग्रवाल, छत्तीसगढ़ पर्यटन मंडल के अध्यक्ष नीलू शर्मा, लोकतंत्र सेनानी संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सच्चिदानंद उपासने, प्रदेश अध्यक्ष दिवाकर तिवारी, छत्तीसगढ़ साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा और प्रमुख संस्कृति सलाहकार सहित बड़ी संख्या में विद्वान-लोकतंत्र समर्थक।
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