
भिलाई/विधायक प्रतिनिधि अजय ने छत्तीसगढ़ में शिक्षा आयोग और शिक्षा विनायमक आयोग की मांग की उन्होंने कहा की देश और प्रदेश में डबल और ट्रिपल इंजन की सरकार होने की बावजूद भी शिक्षा और स्वास्थ जगत के छत्तीसगढ़ के रहवासी महंगाई की मार झेल रहे है।चाहे मसला शिक्षा जगत और स्वास्थ जगत से जुड़ा हुआ क्यों ना हो ।
हाल ही में एक वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से तेजी से वायरल हुआ। जिसमे जबलपुर कलेक्टर के द्वारा एक सख्त आदेश निजी स्कूलों और प्रकाशको के विरुद्ध जारी किया गया
निश्चित रूप से कलेक्टर महोदय का यह प्रयास काबिले तारीफ है उन्होंने पलकों की पीड़ा को समझा जो पुस्तके ₹5000 से ₹6000 तक निजी प्रकाशको की मिलती थी। वह पालकों के बच्चों को ₹400 में उपलब्ध हो गई ।चूंकि मध्य प्रदेश में भाजपा की सरकार है और छत्तीसगढ़ में भी भाजपा की सरकार है लेकिन निजी स्कूलों और प्रकाशकों पर 33 जिलों के कलेक्टर और संभाग आयुक्त का बस क्यों नहीं चल पा रहा है। राज्य में स्कूली शिक्षा मंत्री,स्कूल सेक्रेटरी और मुख्य सचिव है ।लेकिन किसी का भी ध्यान शिक्षा और स्वास्थ जैसे ज्वलंत शील मुद्दे पर क्यों नहीं है । यहां के कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी निजी स्कूलों और निजी प्रकाशकों पर नकेल क्यों नहीं कस रहे हैं। छत्तीसगढ़ राज्य की सरकार में हाल ही में बड़ी पैमाने पर निगम आयोग और मंडलों की नियुक्ति की गई । लेकिन शिक्षा आयोग और शिक्षा विनायमक आयोग का गठन पर सरकार की चुप्पी कई संदेहो को जन्म देती है। उसी तर्ज पर स्वास्थ्य आयोग एवं शिक्षा आयोग का भी गठन जल्द से जल्द करना चाहिए। ताकि निजी स्कूलों और निजी अस्पतालों अपने खर्चीले और आर्थिक बोझ वाले पेमेंट का भार पलकों पर ना डाल सके ।
हमारी और कांग्रेस पार्टी की मांग है कि जल्द से जल्द राज्य सरकार करोड़ों लोगों को राहत देते हुए शिक्षा और स्वास्थ्य आयोग का गठन करें ताकि करोड़ों पालकों और मरीजों के परिजनों को सीधा उसका लाभ मिल पाए साथ ही साथ यहां की सरकार द्वारा एनसीईआरटी की सस्ती किताबों के लिए ज्यादा जोर देना चाहिए ।
और निजी प्रकाशकों की पुस्तके और स्कूल यूनिफार्म एक ही दुकान से लेने को बाध्य न करें। इसका सीधा फायदा स्कूल प्रबंधन और निजी प्रकाशक और बुक डिपो को सीधे तौर पर हो रहा है इन पर शक्ति से प्रतिबंध लगे। केंद्र की सरकार करोड़ों का फंड राज्य सरकार को देती है।
शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए केंद्र की सरकार करोड़ों का फंड देती है।
छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बहुल राज्य है और मुख्यमंत्री भी आदिवासी है उन्हें जल्द से जल्द दोनों आयोग बनाने की पहल करनी चाहिए।
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