28 July 2025

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छत्तीसगढ़ी गुरतुर भाषा: अंतस को सींचती है, आत्मा को एक दूसरे से जोड़ती है: मुख्यमंत्री विष्णु देव साय





रायपुर :
छत्तीसगढ़ी गुरतुर भाषा है। छत्तीसगढ़ी भाषा केवल संवाद का माध्यम नहीं है, यह हमारे अंतस को सींचने और हमारी आत्मा को एक दूसरे से जोड़ने वाली भाषा है। हमें अपनी छत्तीसगढ़ी भाषा पर गर्व है। मुख्यमंत्री श्री साय ने छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के दो दिवसीय आठवें प्रान्तीय सम्मेलन 2025 के शुभारंभ अवसर पर यह बात कही।

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि राज्य सरकार छत्तीसगढ़ी भाषा का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सन 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण कर हमारे पुरखों के सपनों को साकार किया। अलग राज्य बनने के बाद अपनी महतारी की भाषा छत्तीसगढ़ी को सम्मान दिलाने की जिम्मेदारी हम सब की है। यह खुशी की बात है कि छत्तीसगढ़ी में बढ़िया किताबें लिखी जा रही है। इनमें से आज भागमानी, छत्तीसगढ़ के छत्तीस भाजी, छतनार, चल उड़ रे पुचुक चिरई, एक कहानी हाना के, गंगा बारू अउ माटी के दीया सहित छत्तीसगढ़ी भाषा की 11 पुस्तकों का विमोचन किया गया। आयोग के आठवें प्रांतीय सम्मेलन के अध्यक्ष और वरिष्ठ साहित्यकार श्री रामेश्वर वैष्णव, वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. रमेन्द्र नाथ मिश्र, डॉ. विनय कुमार पाठक, संचालक संस्कृति एवं राजभाषा श्री विवेक आचार्य, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के सचिव डॉ. अभिलाषा बेहार सहित अनेक गणमान्य साहित्यकार उपस्थित थे।

छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा अब तक डेढ़ हजार पुस्तकों का प्रकाशन

मुख्यमंत्री श्री साय ने कहा कि हमारा यह प्रयास है कि हमारी भाषा, बोली का मान बढ़े, लोगों का अपनी भाषा से जुड़ाव रहे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ी भाषा का समृद्ध इतिहास है, हमारी यह भाषा शिलालेख में भी दर्ज है। अनेक कवि और लेखक अपनी लेखनी से छत्तीसगढ़ी को समृद्ध कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग द्वारा अपने गठन के बाद अब तक डेढ़ हजार पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है। उन्होंने कहा प्रदेश में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की गई है, इस नीति में बच्चों को अपनी मातृभाषा में शिक्षा दी जाती है। छत्तीसगढ़ में भी बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा दी जा रही है। बच्चे अपनी मातृभाषा में कठिन से कठिन विषय भी आसानी से समझ लेते हैं। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन छत्तीसगढ़ी भाषा को लोकप्रिय बनाने में सफल होगा।






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