
माओवादियों पर था 32 लाख का इनाम, आतंक का अंत
डीव्हीसीएम अरब उर्फ कमलेश और अन्य बड़े कैडर ने किया आत्मसमर्पण
सुकमा ताड़मेटला और अन्य बड़ी घटनाओं में थे शामिल
माड़ बचाओ अभियान से प्रेरित होकर बदली राह
रायपुर। नारायणपुर पुलिस द्वारा चलाए जा रहे आत्मसमर्पण नीति “माड़ बचाओ अभियान” के तहत बड़ी कामयाबी मिली है। माओवाद के खात्मे की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, बड़े कैडर के 4 कुख्यात माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया है।
आत्मसमर्पित माओवादी और उनका इतिहास:
- अरब उर्फ कमलेश (डीव्हीसीएम):
- माड़ डिवीजन संयुक्त मोर्चा प्रभारी और पूर्व नेलनार एरिया कमेटी सचिव।
- 50 से अधिक गांवों में आतंक का पर्याय, 8 वर्षों तक सक्रिय।
- 2010 की सुकमा ताड़मेटला घटना में शामिल, जिसमें 76 जवान शहीद हुए थे।
- हेमलाल (डीव्हीसीएम):
- अमदई एरिया कमिटी सचिव।
- 2021 के बुकिन्नतोर आईडी ब्लास्ट में शामिल, जिसमें 5 जवान शहीद हुए थे।
- रंजित (अर्जुन उर्फ रंजित, पीपीसीएम):
- 2018 की इरपानार एंबुश की घटना में शामिल, जिसमें 5 जवान शहीद हुए थे।
- काजल (पीपीसीएम):
- पूर्व बस्तर डिवीजन के प्रमुख सदस्य।
आत्मसमर्पण की अहमियत:
इन माओवादियों पर कुल ₹32 लाख से अधिक का इनाम घोषित था। यह आत्मसमर्पण न केवल नारायणपुर क्षेत्र में शांति स्थापना की दिशा में एक बड़ी जीत है, बल्कि यह अभियान की सफलता का भी प्रमाण है।
“माड़ बचाओ अभियान” का असर:
पुलिस और प्रशासन की सतत कोशिशों और आत्मसमर्पण नीति के तहत माओवादियों को मुख्यधारा में लाने की यह पहल अबूझमाड़ क्षेत्र में स्थायी शांति और विकास के लिए मील का पत्थर साबित हो रही है।
#शांति_की_ओर_एक_कदम
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